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लेखनी प्रतियोगिता -09-Jan-2023


एक सुंदर सपना टूट गया
देकर रंगीन ख्वाब आँखों को
बचपन पीछे छूट गया।

वो भी क्या जीवन था जब
परियों की बातें सच लगती थी
और मन मे राजा रानी की
भूतों की कहानी पकती थी
जब पापा को पानी देकर
अच्छे बच्चे कहलाते थे
और गमछा बांध गले में
हम सुपरमैन बन जाते थे
मुट्ठी से पानी फिसल गया
और समय का मटका फूट गया
वो बचपन पीछे छूट गया।

जब नानी दादी की गोदी में
देर तलक किस्से सुनते
और उनमें अपनी अपनी 
मर्जी के हिस्से में खुद को बुनते
कभी दोपहरी बागों में और
शाम कभी खलिहानों में
जो सुख था लोटकर मिट्टी में
वो कहाँ हसीन मकानों में
जाने किस बात पे हमसे फिर
समय का मालिक रूठ गया
वो सुंदर बचपन छूट गया।

बचपन मे सोचा करते थे
हम कभी बड़े हो जाएंगे
धन होगा गाड़ी बंगले भी
खुद के मालिक कहलायेंगे
पर कितनी शिद्दत से हमको
अब वो स्कूल बुलाता है
धन गाड़ी बंगले हैं लेकिन
आनन्द कहाँ वो आता है।
मंजिल का हाथ पकड़ने में
खुशियों का दामन छूट गया
वो बचपन पीछे छूट गया।।


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5 Comments

Gunjan Kamal

10-Jan-2023 09:58 AM

बहुत ही सुन्दर

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Abhilasha deshpande

10-Jan-2023 07:40 AM

Beautiful poem

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Abhinav ji

10-Jan-2023 07:31 AM

Very nice 👌👌

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